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मदर टेरेसा जिसने मानवता की सेवा के लिए अपना मूल देश (motherland) त्याग दिया। जो लाखों गरीबों की हमदर्द बनीं, हज़ारों अनाथ, बेसहारा लोगों को सहारा दिया। जिन्हें उनकी सेवा के लिए विश्व शांति का नोबेल पुरस्कार (Nobel Peace Prize) मिला
मदर टेरेसा के विषय आपको यह सब मालूम है क्यूंकि आपको यही बताया गया हैं। परन्तु हर सिक्के के दो पहलू होते हैं और दूसरे पहलू से हमें अनजान रखा गया
आज हम उनमें से सिर्फ़ कुछ पहलुओं पे नज़र डालते हैं फिर संत का सच आप खुद तय करें
ये सच है की भारत में कार्य करने वाली ईसाई संस्थाओं
(missionary organizations) का एक चेहरा अगर सेवा है तो दूसरा चेहरा लालच, डर और दबाव से धर्मान्तरण करना है । और यह वह केवल उन्हीं गरीबों की सेवा करना चाहती है, जो ईसाई धर्म को अपना ले।
मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को P Skopje, North Macedonia में हुआ था और 12 वर्ष की आयु में उन्हें अहसास हुआ कि “उन्हें ईश्वर बुला रहे हैं”, 24 मई 1931 को वे कलकत्ता आई (या भेजी गयीं) और यही की होकर रह गई।
कोलकाता आने पर fundraising करने के लिए मदर टेरेसा ने अपनी मार्केटिंग आरम्भ की। उन्होंने पहले कोलकाता को ‘गरीबों का शहर’ के रूप में चर्चित कर और खुद को उनकी सेवा करने वाले के रूप में और अंतराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त की, वे कुछ ही वर्षों में “दया की मूर्ति”, “मानवता की सेविका”, “बेसहारा और गरीबों की मसीहा”, “लार्जर दैन लाईफ़” वाली छवि से प्रसिद्द हो गई। हालाँकि उन पर समय समय पर “धर्म परिवर्तन” करने के आरोप लगते रहे।
मदर टेरेसा को पूरे विश्व से, कई known, unknown sources से बड़ी-बड़ी धनराशियाँ charity के नाम पर मिलती रहीं सबसे बड़ी बात यह थी की उन्होंने कभी उनके धनदाता की आय का स्रोत्र (source of income) एवं प्रतिष्ठा (social image) कैसी थी ये जानने का कष्ट नहीं किया। उन्हें मिले दान का स्तर ये था की मदर टेरेसा की मृत्यु के समय Susan Shields के न्यूयॉर्क बैंक में पचास मिलियन डालर की रकम जमा मिली।
Susan Shields वही हैं जिन्होंने Mother Teresa के साथ सहायक के रूप में नौ साल तक काम किया। Susan ही charity में आये हुए दान और चेकों का हिसाब रखा करती थी। जो लाखों रुपया गरीबों और दीन-हीनों की सेवा में लगाया जाना था। वह न्यूयॉर्क के बैंक में यूँ ही फ़ालतू क्यूँ पड़ा था ??

दान से मिलने वाले पैसे का प्रयोग सेवा कार्य में शायद ही होता होगा इसे कोलकाता में रहने वाले Aroup Chatterjee अपनी पुस्तक –
“Mother Teresa, the Final Verdict”में लिखते हैं ब्रिटेन की प्रसिद्ध मेडिकल पत्रिका Lancet के सम्पादक डॉ. रॉबिन फ़ॉक्स ने 1991 में एक बार मदर के कलकत्ता स्थित चैरिटी अस्पतालों का दौरा किया था।उन्होंने पाया कि बच्चों के लिये साधारण Analgesics Medicine तक वहाँ उपलब्ध नहीं थी और न ही ‘Sterilize syringes’ का उपयोग हो रहा था।
जब इस बारे में उनसे से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि “ये बच्चे सिर्फ़ मेरी प्रार्थना से ही ठीक हो जायेंगे”। मिशनरी की Nuns भी दूसरों के लिए दवा से ज़्यादा प्रार्थना में विश्वास रखती थी। जबकि खुद का इलाज कोलकाता के महंगे से महंगे अस्पताल में कराती थीं।
भोपाल गैस त्रासदी भारत की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटना है, जिसमें सरकारी तौर पर 4000 से अधिक लोग मारे गये और लाखों लोग अन्य बीमारियों से प्रभावित हुए। उस वक्त मदर टेरेसा तुरंत कलकत्ता से भोपाल आईं,
किसलिये? क्या प्रभावितों की मदद करने? जी नहीं,
बल्कि यह अनुरोध करने कि यूनियन कार्बाईड के मैनेजमेंट को माफ़ कर दिया जाना चाहिये और अन्ततः वही हुआ भी, Warren Martin Anderson ने अपनी बाकी की जिन्दगी अमेरिका में आराम से बिताई। भारत सरकार उस समय उसे सजा दिलवा पाना तो दूर, ठीक से मुकदमा तक दर्ज नहीं कर पाई।
मदर टेरेसा जब कभी बीमार हुईं तो उन्हें बेहतरीन से बेहतरीन कार्पोरेट अस्पताल में भर्ती किया गया। उन्हें हमेशा महंगा से महंगा इलाज उपलब्ध करवाया गया। यही उपचार यदि वे अनाथ और गरीब बच्चों (जिनके नाम पर उन्हें लाखों डालर का चन्दा मिलता रहा) को भी दिलवाती तो कोई बात होती,
लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ।
इसलिए उनके चमत्कार का दावा हमारी समझ से परे है क्यूँकि उनको जीवन में अनेकों बार चिकित्सकों की आवश्यकता पड़ी।
जब प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई की सरकार में सांसद ओमप्रकाश त्यागी द्वारा धर्म स्वातंत्र्य विधेयक के रूप में धर्मान्तरण के विरुद्ध बिल पेश हुआ तो
इन्ही मदर टेरेसा ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर इस विधेयक का विरोध किया और कहाँ था की ईसाई समाज सभी समाज सेवा की गतिविधिया जैसे की शिक्षा, रोजगार, अनाथालय आदि को बंद कर देगा।
अगर उन्हें अपने ईसाई मत का प्रचार करने से रोका जायेगा।
तब देसाई जी ने कहा था इसका अर्थ क्या यह समझा जाये की ईसाईयों द्वारा की जा रही समाज सेवा एक दिखावा मात्र है, उनका असली purpose तो धर्मान्तरण है
अब आप खुद तय करें की हिन्दुओं का धर्मान्तरण करने वाली मदर टेरेसा का सच क्या था !!
Source- hindi.shabd.in/post/40525/mot…