Source: – Subhash Kak / Twitter.
महाभारत में विष्णु के वराह अवतार को एकशृङ्ग कहा गया है। क्या इसीका चित्रण सिन्धु-सरस्वती काल के एकशृङ्गीय कृत्रिम पशु से किया गया है? pic.twitter.com/GJzRFOtTus
— Subhash Kak (@subhashkak1) November 7, 2017
Re-establishing Indic Narratives / Retelling Indian History
Source: – Subhash Kak / Twitter.
महाभारत में विष्णु के वराह अवतार को एकशृङ्ग कहा गया है। क्या इसीका चित्रण सिन्धु-सरस्वती काल के एकशृङ्गीय कृत्रिम पशु से किया गया है? pic.twitter.com/GJzRFOtTus
— Subhash Kak (@subhashkak1) November 7, 2017
गुरु गोविन्द सिंह जी के mention के बगैर आप इंडिया की history of ideas कंप्लीट नहीं कर सकते| गुरु गोविंद सिंह जी ने भागवत पुराण को ‘भाखा दियो बनाए’, जो उन्होंने कृष्णावतार लिखा वह उन्होंने पूरे भागवत पुराण को पंजाबी में भाखा में लिखा, रामअवतार लिखा, अकाल स्तुति लिखी, जितना ज्ञान भारत का था उसका जो latest retelling हुआ…retelling… वह सारा वह गुरु गोविंद सिंह जी ने किया| 4 बेटे मरवा दिए, father मरवा दिए, 40 की आयु में मर गए,इतने ग्रंथों की रचना की, इतना social reform किया और धर्म के लिए जान दे दिया, कुर्बानी कर दी| दो बच्चे छोटे- पांच आठ साल के जिंदा दीवार में चुनवा दिए गए और जब उनको खबर मिली तो उनकी आंखों में नमी आई तो किसी ने कहा गुरु जी अगर आप दुख बनाओगे तो…
हमने जापान में संयोग से इन दोनों वेणुगोपाल को देखा। वहाँ मुझे लगा कि आप यह जानने के लिए उत्सुक हो सकते हैं कि हिन्दू देवी-देवताओं की जापान में उतनी ही पूजा होती है जितनी कि भारत में। आपको वास्तव में यह जानकर आश्चर्य होगा कि यहां जापान में एकमात्र सरस्वती मां के सैकड़ों मंदिर हैं जिसमें 250 फुट ऊंचा मंदिर भी है और सरस्वती मां के मंदिर भारत में देखने को नही मिलते। लक्ष्मी माता की यहां पूजा होती है। बहुत सारे देवी-देवता हैं, इतने सारे शिव हैं, ब्रम्हा हैं, यहां तक की यमराज का मंदिर है।
वास्तिवकता में आपको ये जानकर भी आश्चर्य होगा कि हवन या होमा जिसको जापानी भाषा में “गोमा” कहते है, वो जापान के 1200 से अधिक मंदिरों में हर दिन संस्कृत मंत्रोच्चार द्वारा किया…
ग्रीस जिसे हम यूनान के नाम से भी जानते हैं, 1900 ईसवी में अंततः ग्रीस का फिर से उदय हुआ। यदि हम पुरातन सभ्यताओं की याद करें तो ग्रीस और इजिप्ट का नाम भी याद आता है, परंतु ग्रीस के इतिहास पर नजर डालें तो सबसे पहले ग्रीस पर रोमन साम्राज्य का कब्जा हुआ था। परिणामस्वरूप ग्रीस ईसाई धर्म में परिवर्तित हुआ और अपनी सभ्यता संस्कृति खो बैठा।
रोमन राजा ने ग्रीस के धर्म के सभी ग्रीक देवताओं पर प्रतिबंध लगाया तथा ओलिंपिक खेलों को बंद करा दिया, क्योंकि ग्रीस ओलिंपिक पर बड़ा खर्च करता था। मंदिरों को तोड़ा गया, परम्परायें नष्ट होती चली गई और ग्रीस पूर्णतया ईसाई बन गया।
समय के साथ ग्रीस की पुरातन सभ्यता नष्ट होती चली गई। सवाल ये है कि ग्रीस पुनर्जीवित कैसे हुआ? 18वीं सदी में यूरोप ने ग्रीक ज्ञान का अवतरण किया ताकि अरब देशों के माध्यम से पुरातन यूनानी ज्ञान को प्राप्त…
शीर्ष सिद्धांतकारों में से एक, शॉन लॉन्डर्स ने कहा कि स्मृति हमें बांधती है और हमें परिभाषित करती है। यह धर्म का एक आवश्यक आयाम है और मिलन कुंदेरा ने कहा है कि सत्ता के खिलाफ मनुष्य का संघर्ष वैसे ही है जैसे विस्मृति के खिलाफ स्मृति का संघर्ष। यह बहुत शक्तिशाली बात है। यह एक ऐसी स्मृति है जो हमें विस्मृति से रोकती है। स्मृति मरती नहीं है। स्मृति की यही सुंदरता है। मैं शायद इसके बारे में सीधे शब्दों में अपनी बच्चों से बात भी नहीं कर सकता, लेकिन मुझे पता है कि मेरी संतानें समझ जाएंगी कि मैं क्या संदेश देना चाहता था और वे इसपर चुप्पी साध लेंगे। स्मृति मौन के सहारे आगे बढती है। मुझे लगता है कि आप सभी इस तस्वीर को जानते हैं। है न? ठीक है। मेरे पास इसके बारे में एक कहानी है जिससे शायद पहली बार मुझे समझ में…
मैं एक कहानी आपसे साझा करूंगा, क्योंकि मुझे लगता है कि कहानी लोगों को यह बताने का सबसे अच्छा तरीका है कि मैं इस तक कैसे पहुंचा। किसी को पता है कि यह क्या है? यह कश्मीरी शरणार्थी शिविर है। मैं वहां काम कर रहा था, और मेरी पत्नी भी यहाँ है, हम दोनों लोगों के आघात पर काम करने के लिए शिविरों में जाते थे और ऐसे शिविर कई सारे थे। हमने अपना काम बांट लिया था। हम शिविर में जाते थे, उन लक्षणों पर चर्चा करते थे जिन्हें लोग महसूस करते थे। उनमें से ज्यादातर सो नहीं पाते थे। उनमें से अधिकांश को बुरे स्वप्न आते थे, उनमें से अधिकांश में ऐसे कई लक्षण थे। हम इस पर चर्चा करते थे, उन्हें व्यायाम, बातचीत द्वारा फिर से ठीक करने और फिर वापस आने में मदद करते थे।
बाहर आते समय एक दिन, एक बूढ़ा कश्मीरी आदमी, एक छोटा…
‘इंडिया’ शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई? शायद यह आपको ज्ञात हो| सबसे पहले ‘सिंधु’ शब्द से ‘हिंदू’ बना। फिर जैसे स्पेनिश में ‘ह’ अक्षर उच्चारण में गौण हो जाता है उसी प्रकार ‘ह’ का उच्चारण लुप्त होकर ‘इंदु’ बना। जब मैं बार्सिलोना में था, मैंने एक रेस्तरां का नाम ‘लो कॉमिडा हिंदू’ पाया। पर इसका उच्चारण वे ‘ह’ को गौण रखकर ‘इंदु’ ही कर रहे थे| आप हजारों साल पहले भी इस प्रकार का संदर्भ प्राप्त हो सकता है| अलग अलग देश इसे ‘इंड’, ‘इंडिका’, ‘इंडिया’ इत्यादि जैसे नामों से पुकारते हैं|
भारतीय परंपरा में मनुष्य जीवन के सबसे महत्वपूर्ण मूल्यों में से शिक्षा को सबसे उच्च का स्थान दिया गया है| पुरातन काल से भारतवर्ष समस्त विश्व के लिए ज्ञान का स्रोत रहा है और भारत के ज्ञान का सर्वप्रथम स्रोत हैं हमारे वेद| एक सुसंस्कृत व्यष्टि को समष्टि की नींव मानते हुए एक सुदृढ़ तथा विकसित समाज के निर्माण हेतु शिक्षा की अभूतपूर्व परिकल्पना भारत के ऋषियों, मनीषियों एवं गुरुओं ने ही की थी| इसी चिंतन ने जन्म दिया भारतीय गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को|
क्या थी गुरुकुल शिक्षा प्रणाली? कितनी प्रकार की पद्धतियाँ होती थीं इस प्रणाली में? कहाँ से आरम्भ होती थी शिक्षा? क्या शिक्षा केवल विषय-ज्ञान तक सीमित थी या इसका कोई अलौकिक अभिप्राय भी था? जानिए श्री मेहुल आचार्य के व्याख्यान में|
श्री मेहुल आचार्य जी हमें बताते हैं की मानव व्यक्तित्व के संतुलित व बहुमुखी विकास के लिए तथा विकसित समाज…