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To the Program में आज हमारे मेहमान है दुनिया के जाने माने archaeologist , जनाब के. के. मोहम्मद साहब| के.के. साहब का जन्म कोज्हिकोड़े में हुआ लेकिन उनकी शिक्षा उनकी तालीम अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में हूँई , जो दुनिया की मानीहूँई यूनिवर्सिटी है. आप ने अयोध्या के ऊपर बहूँत काम किया है, आप ने एक किताब भी लिखी है. मैं भारतीय हूँ, लेकिन ये क्या बात है के हिंदुस्तान में जब कोई historian की बात आती है , तो historian भी आपने आपने धर्मो में बाँट जाते है, कुछ मुसलमान historian हो जाते है , कुछ हिन्दू historian हो जाते है , और इस myth को तोड़ा है के.के. मोहम्मद साहब ने, क्यूंकि उनकी finding इन् बुनियादो में नहीं है , के उनका नाम के के मोहम्मद है और वो मुसलमान है, उन्होंने उस सत्यता को दिखाने की कोशिश की है जिसको अलग अलग left or right के चक्कर में जो असली चीजें थी अयोध्या की वो किसीको पता नहीं चली लेकिन जो उनकी finding है , उनका मानना है के अयोध्या में भगवन श्री राम का कभी मंदिर था जिससे तोड़ा गया और उसके ऊपर दुसरे चीजें बनाये गयी , आज वो हमारे साथ है. केके मोहम्मद साहब हमारे इस program में आप का इस्ताख्बल है और मुझे इस बात की ख़ुशी है की आपने अपने इतने busy वक़्त में से मुझे वक़्त दिया … मेरा पहेला सवाल ये है केके साहब के अयोध्या का आपको मालूम है के एक लंबा तनाज़ा है, एक लंबा वक़्त से उसकी बातें चल रही है , उसमें काफ़ी सारि चीजें हूँई है , एक लंबा वक़्त से लढाई भी चल रही है , कोर्ट के बहार भी लड़ाई चल रही है लेकिन ये क्या वजह है के archaeologist भी इस मुल्क में धर्मो के हिसाब से चीजों की finding कर रहे है , ideology के हिसाब से finding कर रहे है. ऐसे में आप का excavation जो है वो बिल्कुल एक नई रौशनी देता इस हिंदुस्तान के लिए तो आप का excavation जो है उसकी उसकी findings क्या है और आप आज क्या समझते है क्यूँ के जिस तरीके से supreme court इस issue को कुछ दिनों में शुरू होने वाला है और एक लंबी लड़ाई है लेकिन ये सब की बावजूद भी केके मोहम्मद साहब की findings क्या है?
के के : नहीं, मैंने तो खैर १९७६-७७ में excavation में शामिल हुआ तो मैं excavation नहीं किया , excavation के director थे Professor बी.बी लाल, वो former director general of archaeological survey of India थे , फिर उसमें से resign किया then he took over this project so I was a member of the excavation team, excavation जब हम करने के लिए गए तो जो मस्जिद था वो मस्जिद का entry तो लोगों के लिए नहीं था क्यूँ के क्यूँ के पुलिस था वहाँ लेकिन हम लोग , we were from the excavation team तो हम लोगों के लिए लिए रोक नहीं थे , तो हमने पहले जा के देखा मस्जिद का जो भी है , तो उसमें pillars में , १२ pillars जितने भी थे, वो सब हिन्दू मंदिरों का था, तो आप पूछेंगे ये हिन्दू मंदिर आप कैसे कहेंगे , तो आप कोई भी जब हिन्दू मंदिर का देखेंगे तो वो हिन्दू मंदिर का हमेशा पूर्ण कलश मिलेंगे आपको , पूर्ण कलश, that is a symbol of prosperity in Hinduism, उसको अष्टामंगला सिंहस कहते है , आप कुव्वत ऊल इस्लाम मस्जिद का देखिएगा, वहाँ पर भी इस ही तरीके से मंदिर तोड़ा गया और उसको re-use किया आजकल भी मौजूद है , I mean, one two three four five नहीं है, बहूँत सारे , कुछ गलतिया हो चुके है , इसका मतलब ये नहीं है के उस गलतिया अब सारे हमें सुधारना चाहिए, वो possible नहीं है history में , लेकिन मुसलमानों को ये मानना भी चाहिए ये गलतिया हुआ है . तो उससी time हम लोगों सिर्फ १२ pillars मिले थे फिर जब excavation किया तो ये जो pillar खड़े हूँए थे , उसके निचे का जो pillar base के लिए जो brick base बनाया था तःकी ये बिल्कुल खड़ा रहेना चाहिए, तो वो पूरा base मिला, ये इतना काफी चीजें हम लोगो को मिल गया , तो इस ही basis में , लेकिन उस time पे ये इतना बड़ा मुददा नहीं था, कोई पार्टी हो, चाहे हिन्दू पार्टी हो, चाहे मुस्लमान पार्टी हो, कोई बहूँत बड़ा मुददा नहीं था , वो इसलिए प्रोफेसर बी.बी. लाल ने इसको ये बहूँत बड़ा मुददा बनाया नहीं लेकिन left historian ने क्या किया है, उन्होंने ये देखे के इन्होने pillar के बारे में कुछ नहीं कहा , pillar base के बारे कुछ नहीं कहा, उन् लोगों ने उछालना शुरू कर दिए, वहाँ अयोध्या में excavation हुआ था, वहाँ मंदिर का कोई अबशिष्टता नहीं मिला है कहे कर के . तो professor बी.बी.लाल भी जो ये सारि चीजें जो मिला है वो सब सामने लाना नहीं चा रहा था फिर एक मुददा बनाना नहीं चा रहा था लेकिन मुददा बनाया है ये JNU के historian and Professor इरफ़ान हबीब – इन् लोगो ने मुददा बनाया है.
तो इनको बताना परा नहीं नहीं नहीं हम लोगोको pillar भी मिला है , pillar base भी मिला है, दोबारा इनको ये कहना पड़ा, ये मजबूर हो गया, उन लोगो ने कहा नहीं इसके बारे में कहीं कोई रिपोर्ट भी नहीं है. तो १९९० मेंने Indian Express को एक चिठी लिखा था, उस पे मैंने कहा था, क्यूंकि में , I was the only Muslim who had participated in that excavation and I had seen those pillars also and the pillar bases also और फिर मैंने लिखा था , मुसलमानों को जितना मक्काह और मदीना important है, उतना ही एक आम हिन्दू के लिए , ये राम की जन्मस्थान , कृष्णा की जन्मस्थान , ये important है , और मुसलमानों को willingly they should hand it over. तो Indian Express ने तो बहूँत सारे editionमें उन लोगों ने पूरे के पूरे उन लोगों नेछाप दिया, फिर भी ये लोग कहते रहे “नहीं कुछ भी नहीं है. तो professor, ये थे उस time पे माधवन , he was a great archaeologist also, उन्होंने कहा की एक group कहे रहे के नहीं मिला, दूसरा group कह रहे है मिल रहा है तो एक दो बरा excavation करना चाहिए और ये जो कह रहे थे के नहीं मिला इस में से कोई भी archaeologist नहीं थे: Irfan Habib is not an archaeologist, उनको archaeology के बारे में ज्यादा कुछ पता भी नहीं है, प्रोफेसर रोमिला थापर, she is not an archaeologist, they might be using archaeology लेकिन she is not an archaeologist, र. शर्मा he is not an archaeologist, और जितने भी लोग थे उनमें उस time में इन् में से कोई भी archaeologist नहीं थे. archaeology से क्या क्या मिल सकते है ये भी उनको पता नहीं था, तो उसके बाद फिर इन्होने ये कहा की अगर नहीं है, ये लोग कहे रहे हैं नहीं हैं,कुछ लोग कहे रहे है है, तो why can’t we do a second excavation? उससे तो ये बिल्कुल साफ़ हो जायेगा , तो उसके लिए फिर जो ये है न Allahabad high court ने supreme court की ruling की हिसाब में Allahabad high court ने फिर एक ruling दिए: excavation कीजिये, तो excavation किया, तो excavation से जो निकला, हम लोगों तो १२ pillars थे अब तो ५० pillars का bases मिल गया तो आप ये कैसे कहेंगे के वहाँ pillar नहीं थे , ५० pillars के bases मिल गए और वो भी इनका वक्फ board की so called excavators भी थे, उनके सामने, ये लोग भी है न ये जो excavators जिनको बुलाके लाया था archaeologists लाया थे, वो भी कोई पक्का जान ने वाले नहीं थे लेकिन उनके सामने निकाला है ये सारी चीजें, उससी तरीके से, Allahabad high court के एक judge जो है न वही हमेशा रहे करते थे, तो इन् सारे लोगो के सामने निकाला ये सारि चीजें. उस के बाद जब मंदिर में, कहीं पर भी मंदिर में जाइये, मंदिर में daily you have to bathe the जो main deity है – शिवा है तो शिवा, विष्णु है तो विष्णु तो उसका अभिषेक जल पानी जो , प्रणाली जो है ये प्रणाली आपको घर में नहीं मिलेगा, उसको मगर प्रणाली कहते है, मगर प्रणाली है के जो उसको crocodile का face होगा.
वो सिर्फ़ मंदिर में ही मिलेंगे, वो मगर प्रणाली मिला वहाँ से, excavation से, फ़िर इससे जो connected हैं, जो human beings हैं, बहूँत सारे terracota, ये मिटटी से बनाया हूँया, बहूँत सारे terracota material मिले जो मस्जिद में नहीं मिलेगा क्यूंकि human depiction जो है इस्लाम में बिल्कुल हराम है , माना है , सिर्फ़ painting नहीं, ये hot brick से बनाया हूँया था , इस तरह के almost 267 pieces मिले जो सिर्फ़ मंदिर में ही मिल सकते हैं, उसके अलावा , एक बिष्णु हरी शिला फलक, जो विष्णु हरी शिला फलक, ये excavation में नहीं लेकिन जब मंदिर तोड़ा गया को उससी time पे जो विष्णु हरी शिला फलक मिल गया, उसमें ये बिल्कुल साफ़ लिखा हुआ है: This is a temple meant for Vishnu करके , तो आपको मंदिर था ये मस्जिद के निचे, इसके लिए इससे ज़्यादा क्या सबूत मिलेंगे?
host: मैं एक बात आप की बात से जो में conclusion निकल पा रहा वो ये है की ये सब जानते हूँए ,कोई हिन्दू हो सकता है कोई मुस्लिम हो सकता है, वहाँ मंदिर भी हो सकता है, वहाँ मस्जिद भी हो सकती है, इस सब की बावजूद भी इस देश के नामिग्रामी, बी.बी. लाल से में भी मिला हूँ, आखिर वक्तों में उनके, क्या आपको लगता के हमारे देश में historical और archaeological चीजें दो ऐसी चीजें हैं के जिसमें मौजूदा generation को नहीं पता, सही ..बिल्कुल बिल्कुल, आपका ऐसा subject हैं जिसपे हम किसी चीज़ पे challenge कर रहे, लेकिन history में इस दौर को जिसको आप बता रहे हो उसके पास कोई प्रमाण नहीं हैं, वो पूरी तरीके से आप की findings के ऊपर ही यकीन कर रहे है, तो क्या आप को लगता है के archaeology को छोड़ के, मंदिर मस्जिद के मामले को थोड़ी देर के लिए छोड़ दे , मोहम्मद साहब , तो क्या इस देश के बड़े बड़े historian जो है उन्होंने इस देश के इतिहास के साथ क्या crime नहीं किया है? It is a great crime, it’s a great crime and unpardonable crime and it is to divide the society.
के.के. : They have got their own basic बिल्कुल agenda हैं इन् लोगों के लिए कुछ लोगों के लिए , तो उसमें से ये left historian because they have been ruling the entire country. क्यूंकि ऐसी teacher उनके under में थे, बाकी सारी जितने भी institutions है वो इन् लोगों के under में थे जिनको चाहते थे.
host: नूर हासन के साथ वो तमाम सारे लोग और फ़िर वो तमाम सारी चीजें हूँई, तो आप एक archaeologist एक historian के हिसाब से आप ये मानते है के अयोध्या में जिस किस्म का विवाद खड़ा किया जा रहा हैं, वो मज़हबी उन्माद ज़्यादा हैं , academic नहीं हैं academically आप लोग साबित कर चुके हैं – बिल्कुल, बिल्कुल, बिल्कुल – और उसमें कोई आप का मुसलमान होना और आप का south Indian होना उसका कोई लेना देना नहीं हैं – बिल्कुल नहीं हैं – आप बिल्कुल पूरे उस excavation के हिस्सा रहते हूँए उन् साक्ष्यों में जो कुछ मिला, उसको सामने प्रस्तुत कर दिया, और आप ही के इस excavation के बाद जो findings उसपे इन् लोगों पे दबाव बना और उन्होंने expect भी किया – बिल्कुल, बिल्कुल – लेकिन क्या लगता है? कुछ सियासी लोग, सियासत करे समझ में अत है, all India Muslim personal law board करे और दूसरी लोग करें, लेकिन आज भी तो historian जो हैं इस पे बांटे हूँए हैं, तो ये जो बंटा हूँया हैं historian और archaeologist , ये ये इतना बड़ा इस देश के लिए खतरनाक है क्यूंकि कोई archaeologist दो दिन में नहीं बनेगा, after all इन्ही से काम चलाना हैं, अगर ये इतिहास के साथ गद्दारी कर रहे है, अगर ये इतिहास के साथ crime कर रहे है, तो इनसे बड़ा तो criminal दुनिया में कोई नहीं हो सकता.
के.के. : actually ये इन् के साथ कोई बड़े archaeologist नहीं हैं, इन् के साथ एक सूरज भान थोड़ा सा उनका भी field experience उतना नहीं था, उसके अलावा बाकी जितने भी ये JNU से उधर से इधर से एक दो छोटे मोटे archaeologist , कोई established archaeologist इनके साथ नहीं था, इनके साथ सिर्फ़ historian ही था, तो इन् लोगों ने समाज के साथ, देश के साथ एक बहूँत बड़ा crime किया है, में ये भी मानता हूँ और उनके लिए special interest भी है , तो सिर्फ़ अगर वो special interest ये serve नहीं हुआ , तो फिर वो सारे लोगो के खिलाफ हो जाते और उनको support करने के लिए कुछ अंग्रेजी papers भी हैं, इन् लोगों ने भी बहूँत बड़ा crime किया |
आप कहे रहे हो media भी also part of the whole conspiracy
के.के.: English media , this one, they played a very negative role in that one, वरना मुसलमान , क्यूंकि मैंने कही जगह पे मुसलमानों से बात किया था, I was in Aligarh muslim university , वही पर ही बात होता था, और इसके अलावा में जब archaeological survey of India मैं आ गया I was invited by a German university for conducting excavations in Gulf Country , वहाँ जब में गया था तो hotel was run by a group of people mainly वो कुछ वहाँ जो काम कर रहे थे, तो उसमें से mainly they were from kerala, अच्छा वो एक Islamic organization SIMI करके (वो अलीगढ़ में ही थे, हाँ अलीगढ़ में भी थे) तो उनसे connected थे, तो उन् लोगो को मालूम था मेरा views, उन लोगों नेमुझे invite किया एक lecture के लिए , मैंने उनसे कहा के आप लोगों के साथ lecture दे दूंगा लेकिन you should not create an unnecessary problem .
आप मुझसे सवाल पूछ सकते, तो मैंने एक घंटे तक lecture दिया इस्लाम के बारे में, toleration of Islam के बारे में और उसके बाद मैंने कहा आप मुझे ये बताइए, हिन्दू हिंदुस्तान में पहली बार आया, उसके बाद मुसलमान आया, और मुसलमानों को एक देश भी दिया, देश देने के बाद जो है न, अगर ये उस ज़माने में जो है न गाँधी जी नेहरु जी अगर चाहते तो वो हिंदुस्तान को Hindu country declare कर सकते थे, कोई इसको object करने वाले नहीं थे, लेकिन उन्होंने secular country declare किया, क्या आप ये समझते है की जो है न अगर हिंदुस्तान , muslim majority country होता , क्या secular country होते?
ये एक बहूँत बड़ा सवाल था उनसे तो उन लोगों नेकहा आप ने बिल्कुल सही कहा ये सवाल इस ही तरीके से पूछना चाहिए और muslim majority country होता कभी secular country नहीं होता | उसके बाद मैंने कहा की देखिये एक हिन्दू को एक मुसलमान को मक्का और मदीना जितना important है उतना एक आम हिन्दू के लिए ये important है और मुसलमानों के लिए ये जो है न prophet Muhammad से कोई तालुक नहीं है, ये खलीफा उर रशिदीन जो कहते है, जो great pious caliph उनसे कोई तालुक नहीं है, साहब ए किरम से कोई तालुक नहीं है और ये बड़े औलिया है निज़ामुद्दीन औलिया ये अजमेर का औलिया है उनसे कोई connection नहीं हैं, एक रजा से connected है एक छोटा सा एक मस्जिद है तो क्या हम लोग ये छोड़ के ये जो है न हम आगे नहीं बार सकते है?
जो extreme organization जो कह रहे है SIMI उनके लोगों ने वो मन, और मुझे ७२ लोग थे उस time में, उन लोगो ने , उनका leadership जो है न मुझे एक अलग कमरें में ले जा के उन लोगों ने मुझसे पुछा क्या आप ये सवाल इस्सी तरीके से ये सैयद शाहबुद्दीन साहब, सैयद शाहबुद्दीन साहब उस ज़माने में, इसका बहूँत बड़ा था, बहूँत बड़े leader थे, उनसे पूछ नहीं सकते? ये बहूँत आराम से ये मामला हल हो सकता है, शाहबुद्दीन तो IFS था, IFS थे he was a बहूँत बड़े थे, ऐसे मेरा उस time पे उनसे connection नहीं थे लेकिन एक दो महीने अन्दर एक ऐसा वाकिया हुआ , वहाँ में उस time में पटना में था वो पटना में कुछ जो extreme hindu fanatics जो है, उन लोगों ने शेर शाह सूरी के मकबरा encroach करके एक मंदिर बनाया था वो expand कर रहे थे जब मैंने पंहूँचा, तो उन लोगों ने सोचा ये तो BJP के period है क्यूंकि अटल बिहारी वाजपायी जो prime minister थे और ये जो मुसलमान है ये तो बिल्कुल डरे हूँए है, ये तो कुछ बोलेंगे नहीं लेकिन मैंने पहले उसको oppose किया ये तो बिल्कुल encroachment है , illegal है ये इसको होने नहीं देंगे वो आदमी एक जवाहर प्रसाद करके एक MLA थे, VHP के MLA थे, बहूँत ही ज्यादा ये दुसरे type क आदमी थे, इश्तियल अन्घेज़ था, हाँ बिल्कुल , तो उन्होंने कहा की हम मंदिर बनायेंगे |
I went to the court. high court जा के वहाँ से stay ले लिया तो उनको पता हो गया ये इस तरहे का कम भी रुकवा सकते है तो फिर बाकी सारे लोगों ने मुझे congratulate भी किया, तो सैयद शहाबुद्दीन wrote a letter to anant kumar जी , अनंत कुमार जी was the minister , वो director general के पास ए वो फिर मेरे पास अये , then I wrote him a reply : देखिये वो तो जो मैंने किया है वो as per rule किया है लेकिन ये जो इस मामलें में जो अयोध्या के मामलें में जो आप काम कर रहे, ये I was a participant in this excavation and I had seen those temple pillars also और जो न उसका जो ढांचा था brick वाला platform भी देखा है, तो इसलिए आप को आगे आना चाहिए इस मसले को हल करने के लिए : muslims should willingly hand it over और जहा वो चाहे वो मस्जिद और जगह पे बनाये , तो उन्होंने कहा की, he wrote back, मैंने अपनी किताब में उसको भी publish किया ये जो “में हूँ भारतीय” में जो publish किया है , he wrote back that I will put this matter before a Muslim मजलिस के सामने, कुछ दिन के बाद फिर उनके letter आया हमने उसको place किया लेकिन वो कोई भी आपके opinions से मानते नहीं है कर के| Then he came to Patna , तो I went to meet him , तो वहाँ जा के फिर काफी देर तक बात किया, he was convinced, मुझे ऐसा लगा he was convinced that it should be handed over, लेकिन अब वो दबाव में थे मुसलमान बाकी जो बाकी जो leadership के साथ, तो इस तरीके के कहीं जोनो ना handover करने के लिए तैयार थे लेकिन गलती किनका हुआ है? ये leftist historian इरफ़ान हबीब का हुआ है क्यूंकि इसमें बाकी र. शर्मा भी इतना ज्यादा वो नहीं क्यूंकि because I had a close conncetion with him also. R.S. Sharma, because he was in Patna, तो मेरे साथ meeting में वो आते भी थे, तो सब से बड़ा जो हैं न role , गलत role जो अदा किया है वो इरफ़ान हबीब ने, उन्होंने फिर सरे मुसलमानों को बिठाके आपने ICHR के कमरें में बिठाके उनको मुसलमानों को brainwashing शुरू किया है, इनको excavation करने दीजिये, कुछ नहीं मिलेगा, अभी तो कुछ मिला नहीं, अब और क्या मिलले जा रहे है? ये brainwashing का सबसे बड़ा काम professor इरफ़ान हबीब ने किया तो सबसे ज्यादा जो है न गलती इनका है, और इनका एक group है |
Host: तो ये कहना चाहते है आप के इरफ़ान हबीब का जो चेहरा जो उनकी fame है के बड़े hardcore leftist, बड़े hardcore anti radical muslim है लेकिन जो role उन्होंने play किया जो आप बता रहे है के ICHRके कमरों का कैसे इस्तेमाल हुआ , मुसलमानों को कैसे बुलाया गया , क्या आप समझते है इस पूरे खेल में irfan habib and company इन् लोगों ने इस पूरे मामले को hindu muslim का रंग दिया और इस देश की दो बरी कोमों को आमने सामने खड़ा कर दिया और दोनों की आना का मसला बन गया है और वो कोर्ट में भी है लेकिन आप ये भी देखे की कोर्ट में high court ने जो फैसला दिया है करीब करीब उसमें बहूँत कुछ वही कहा है जो आप लोगों ने कहा है लेकिन जिस तरीके का provocation लगातार आ रहे है , क्या आपको लगता है किसी देश की मेजोरिटी लगातार हीन भावना का शिकार रहे, एहसास ए का शिकार रहे, उसके सामने सड़कों में वो नाम रखे जाये जिनके बाप दादाओं को उन्होंने rape किया हो, उनके मंदिरों को तोड़ के मस्जिद बनायीं जाये , इस तरीके से को मेजोरिटी कभी reaction में नहीं आयेगी और अगर मेजोरिटी reaction में आ गई तो बहूँत, में समझता हूँ, खतरनाक होगा, क्यूंकि हम पूरी दुनिया में देखते हैं आतंकवाद जो फैलता है, अगर कश्मीर में अगर आतंकवाद survive कर रहे है इसलिए की मेजोरिटी कर रही है, और पंजाब में आतंकवाद इसलिए survive किया क्यूंकि मेजोरिटी ने किया | तो क्या इस देश की वो सेहेश्नता को , उस tolerant majority को, इतनी दूर तक provoke किया जा रहा है की वो react करे और अगर वो react करेगी तो उसका अंजाम कितना खतरनाक होगा , वो ये तमाम सारे लोग नहीं जानते?
के.के.: ये लोग सब जानते है लेकिन जानते हूँए भी जो हैं ना, not the entire leftist, में पूरे leftist को नहीं कह रहा, क्यूंकि उसमें भी बहूँत अछे सोच ने वाले है, लेकिन इरफ़ान हबीब जैसे जो है ना कुछ लोग अपना कुछ personal agenda था, interest था, इसलिए इन्होने इस हद तक जो है न दूर तक play किया, वरना जो पहले जो हैं न, अलीगढ़ में इनके खिलाफ जो है ना एक मोहिम चलाते एक ज़माने में, उस time BJP इनको support कर रहे थे, बाकी जो भी उनके खिलाफ जो भी बोलेंगे या उनसे थोड़ा सा भी अगर इत्तेफाक नहीं करेंगे उसको, अब वो muslim league ही बना देते थे, in Aligarh I was a muslim leaguei, क्यूंकि इनके विचार धरा से, में अलग था, क्यूंकि I was a free thinker, हमें तो खैर वो इस्लाम से ना कोई मोहब्बत है न Hinduism से कोई मोहब्बत है, free thinker था , लेकिन ये free thinking ये इरफ़ान हबीब कभी भी allow नहीं करेंगे जो कहेंगे वही मानना पड़ेगा , उनका तो बहूँत ज्यादा कोई ambition भी नहीं है, उनका ambition ये था की एक तो Head of the Department या Chairman रहेना चाहिए Aligarh Muslim University में history department में और ICHR का chairman चाहिए और ज़िंदगी भर, तहके उनका कुछ लोग है, उन्ही लोगों को oblige करे, governorship नहीं चाहिए उनको, presidentship नहीं चाहिए क्यूंकि उनको मालूम हैं उसमें पूरे में वो fail हो जायेगा |
Host: अगर मैं ये कहूँ के ये मुल्क दो leader की ज़ाती ख्वाहिशात के चलते बाँट गया, नेहरु और जिन्नाह, और उस आज़ादी के बाद इरफ़ान हबीब को Head of the Department बनना है, chairman बनना है , ICHR का chairman बनना है , इस ज़ाती ख्वाइश में उन्होंने इस देश के history के साथ इतना बड़ा जुर्म किया और दो बड़ी community को आमने सामने खड़ा कर दिया , क्या आप जैसे लोगों ने आप जैसे archaeologist ने, आप जैसे historians ने कभी इस किसम के लोगों का boycott सरे आम किया के नहीं किया और नहीं किया तो क्यूँ नहीं किया ?
के.के. : नहीं, मैंने तो सिर्फ़ boycott नहीं, I had filed a case also against IrfanHabib, Makhan Lal और the vice chancellor, तो ये पूरा group था उस time में, क्यूंकि ये जो है न इन्होने बीजेपी को खूब use किया and BJP was once upon a time his full supporter, वो दौर भी देखा मैंने, तो हम लोगों ने उस time में against थे , there I was called a Muslim fundamentalist अब जो है ना में RSS का आदमी हो गया हूँ, ये तो इन् लोगों का खेल है because we always stood for free thinking, जो liberal thinking है जो that is the essence of Hinduism |
Host: अभी कोर्ट में मामला चल रहा है, अगली दो तीन दिन में सुनवाई होगी, कभी आपने ये कोशिश की या आपको ऐसा ख्याल आया की supreme court में आपको voluntary जा के जो भी कुछ अपने finding की थी , उसमें मददगार बनने की कोशिश किया या कुछ findings दी? कोई ऐसा खेयाल आया के ऐसा करना चाहिए आपको या नहीं करना चाहिए, क्यूंकि आप की finding और आपका नाम के.के. मोहम्मद है और आप south india के है लिहाज़ा हमने ये भी देखा है के south india का मुसलमान जो है, वो education में बहूँत आगे है , वो business में बहूँत आगे है, in comparison to north India, यहाँ बात अलग है के इस सब के बावजूद भी आप ने वो हिम्मत, वो ताक़त दिखाई के आपने नाम को लेकर के आपने subject को कभी कहीं मुतासिर न होने दिया | मेरा कहना ये है क्या इस मामलें का हाल अगर कोर्ट निकलेगी और अगर कोर्ट मानले के किसी एक के हक़ में जाता है, किसी दुसरे के हक़ में नहीं जाता है तो क्या इस मामले को कोर्ट समाप्त कर पायेगा या कोर्ट से बहार निकल के मुसलमानों को हिन्दुओं को ये मंदिर सोंप देना चाहिए, अगर कोर्ट के फैसले से तनकीद बनी रहीगी और में समझता हूँ के लोगों का गुस्सा शांत नहीं होगा, आप की निगाह में क्या हल हैं?
K K: In my opinion there is only one solution, ये कोर्ट के बहार मामला जो है न हिन्दुओ और मुसलमानों को settle करना चाहिए , settlement कैसा होगा ? जो मैंने पहले कहां, this is as important for an ordinary hindu as Makka and Madina are for Muslims, तो इसलिए कुछ नहीं सोचना चाहिए , मुसलमानों को इसमें छोड़ देना चाहिए , उसकी जगह पे एक मस्जिद जहाँ वो मुसलमान चाहते है, जहाँ मुसलमान आबादी है, वही बनादेना चाहिए, इसके अलावा कोई solution नहीं हैं, कोर्ट भी कोई solution दे देंगे, divide करेंगे इमें इनमें इनमें, that is not going to solve the problem. वो फिर problem पैदा करेंगे वहाँ तो कोई वो कोई problem नहीं हैं , solution is the only thing, hand over the, पूरा structure Hindus के लिए दे दीजिये और औसके बाद जो है न not only this problem, many other problem automatically जितने भी है वो सब automatically solve हो जायेगा | में एक example दे दूंगा आपको: वहाँ पहले जो हनुमान गाढ़ी है वहाँ अयोध्या में , that was given by, originally it was given by, akbar के ज़माने में , उन्होंने ६ बीघा ज़मीन इनको हनुमान गाढ़ी मंदिर को दिया था, उसके बाद उसही जगह पे औरन्ग्ज़ेबे एक मस्जिद बना दिया, थोड़ा सा हनुमान गाढ़ी के थोड़ा सा इसमें, उसको 18th century में , इन् लोगों ने नवाबों जो है न hindus को दे दिया , तो उसमें ये जो मस्जिद है अलाम्गिरी मस्जिद है वो भी अगया और कुछ सालों के अन्दर वहाँ नमाज़ पढ़ ने के लिए मुसलमान नहीं थे तो वो unrepair हो गया , और वो गिर ने लगे, तो कुछ मुसलमानों ने वहाँ जो है न, क्यूंकि property के ownership किन के पास है? वहाँ हनुमान गाढ़ी के पास है | तो उन लोगों ने महंत के पास आके मिल लिया “के हमें repair करने के लिए permission चाहिए कर के” , महंत ने ये कहां सिर्फ repair नहीं, आप repair की जिए और उसका जितने भी cost है वो भी हम bear करेंगे, hindus bear करेंगे, ये उनका decision था, हमारा मुसलमान भाई, उससी तरीके से क्यूँ decision नहीं कर रहे है? करना चाहिए , this is a historical moment, अब इसमें अगर थोड़ा सा भी इन्होने hindus के favour में action ले लिया, ये हमेशा के लिए एक सर दर्द जो है ना , हमेशा के लिए ना बिल्कुल solution हो जायेगा .
Host: मेरा आखरी सवाल है| थोड़ा सा इससे हट के है, की क्या वजह हैं हिंदुस्तान में जो आजकल हम जो aggresiveness देख रहे है, tv पे आरहे है, और ज़्यादातर वो लोग आरहे है जिनका scientific education से कम और दीनी तालीम से ज्यादा सम्बन्ध , और television पे आकार के वो इस तरीके की बातें करते है, इन्हे television पे कुछ लोग जो है न औरन्ग्ज़ेबे को रहमतुल्लाह तक कहेने लगे है, और औरन्ग्ज़ेबे का जिस तरीके से तारीफ़ करते हैं, क्या आपको लगता है के बाबर जो उज्बेकिस्तान से आया यह , जिसकी माँ मंगोलियन थी, हिंदुस्तान का मुसलमान का dna उनसे मिलना चाहिए या इमाम ए हिन्द से मिलना चाहिए ?
के.के. : It is very, very, very unfortunate श्री राम जी के बारे में it is very unfortunate that muslims are behaving like that और इसको बिल्कुल मसलमानों को change करना चाहिए अभी, क्यूंकि, उनका DNA हिंदुस्तान का है और जो specially श्री राम के बारे में जो कहते है, अल्लामा इकबाल ने जो कहा है: है राम के वजूद पे हिंदुस्तान को नाज़, अहल-ए-नज़र समझते है के उनको इमाम ए हिन्द, बोहोत खूब, वो शक्सियत , उनके लिए मुसलमान, उनके लिए भी और आपने लिए भी| for the muslim community भी उनके लिए जो है न छोड़ न चाहिए number one. लेकिन एक हिन्दू के जो एक extreme group है वो दुसरे demand में, वो आजकाल उठने लगी हैं, जो extreme hindus है, हर एक चीज़ को क्लेम करेंगे, हमारे पास पुष्पक विमान था, हमें वो surgery अता था, और गणेश जी जो surgery का सबसे बड़ा उधाहरण है, ताज महल उसके अन्दर शिव लिंग है और वो हम लोगों ने देखा है, २२ कमरे बंद करके क्यूँ रखे है, क्यूंकि, I was the in charge of The Taj Mahal, मुझे ताज महल का outside भी मालूम है, inside भी मालूम है| में बहूँत साल पहले professor बी.बी. लाल साहब जो अयोध्या के excavation किया, he was the in charge. उन्होंने कभी इस ही तरीके का शिव लिंग देखा नहीं हैं, उसके कुछ सैलून बाद एक professor SR Rao है, जो द्वारका का excavation किया, उसको land में नहीं मिला, वो जा के समुन्दर में excavation कर के निकाला| He was the in charge. आज जो in charge है; वो mr bhuvan vikram है , dr. bhuvan vikram, वो ये जो second report है , ayodhya का जो second report है, इस में this excavation: the report was prepared by एक तो Dr. BR Mani है जो National Museum का Director General है और उन्ही के साथी साथ जो काम करने वाले है वो भुवन विक्रम है , तो हम लोगों ने वहाँ कभी कोई शिव लिंग देखा नहीं है, और शिव लिंग है या नहीं है उसका architecture, अगर आप देखेंगे, is a great evolution .
host: इसका एक वजह में देखता हूँ because I also move around एक reaction में it’s a counter reaction , it’s basically they feel के अब भाई ठीक है, अब गलत भी हम मनवाएंगे, it’s that kind of reaction| और में ये बात चीत को रुकना चाहूँगा ये कहते हूँए के इस पूरे मामले पे आप मुसलमनोसे से क्यूंकि आप एक सच्चे मुसलमान है, आप academician हैं, आप archaeologist हैं, आप अयोध्या से जुरे हैं, देश के उन् मुसलमनोसे जो सुभाह शाम चाहे राम मंदिर हो, चाहे तिन तलाक़ का मामला हो चाहे औरन्ग्ज़ेबे का मामला हो, लगातार जो हिन्दुओं को provoke कर रहे हैं, और उस provocation के अन्दर इतनी बड़ी आबादी में कुछ लोग अगर बिगड़ गए तो इस देख के लिए तो होगा ही होगा और मुसलमान रिश्तों के लिए होगा| आप की मसलमानों से appeal क्या है? ये मेरा आखरी सवाल हैं?
के.के. : मेरा एक छोटी सी appeal है जो आप हैं न इसके मामले जो अयोध्या का मामला, ये जो है न हिन्दुओ को आप उनके लिए ये छोड़ देना चाहिए, छोड़ ने से जो हैं न आप का तमाम प्रॉब्लम जो है न, future में जो आने वाले problem है वो सब automatically ख़तम हो जायेगा, यहाँ हमसे गलती हूँई है, मुसलमानों से गलती हूँई हैं , कहीं सारे मुसलमानों के kings जितने भी थे उन लोगों ने गलतिया किया है, तो उस गलती को जो है न हमें मानना भी चाहिए, उसका एहसास भी होना चाहिए और हिन्दू community उसके लिए इनको माफ़ भी करना चाहिए | ये नहीं सारे चीज़ में इस तरीके का unnecessary problem create करे, वो problem create करेंगे तो that will be a kind of an eternal problem, तो आधे दूर जो है न मुसलमानों को चलना पड़ेगा आधे दूर हिन्दू को भी चलना पड़ेगा| Then only we will be able to solve the problem of the country लेकिन इस हालत में मुसलमानों को ही क़ुरबानी देना पड़ेगा|
host: के.के. साहब आप हमारे program में आयें , अपने बड़ी बेबाकी से बड़ी साफ़ तमाम वो बातें कहीं जो अक्सर लोग नहीं कह पाते, और मुझे दुःख इस बात का है की historian और archaeologist भी अगर झूठ बोलने लागे तो किसी भी देश का सभ्यता और culture के बारे में आने वाली जनरेशन हमेशा गलत रास्ते में जायेंगे| में आपके अल्लाह से दुआ करता हूँ आप सेहतमंद रहे, आप अछे रहे, और आप लगातार इस काम को करते रहे , इस मुल्क को आप जैसे लोगों की ज़रूरत हैं, बहूँत बहूँत शुक्रिया , खुदा हाफिज़, नमस्कार |